सोमवार, 1 दिसंबर 2014


गणेश मानस पूजा

(१.) जागरण/आह्वान- 
हे मेरे प्यारे गौरीनंदन गणेश! प्रातः काल हो चुका है! लोहित वर्ण के सूर्य भगवान् नीले आकाश में अपनी किरणें बिखेरते हुए उदित हो रहे हैंहिमाच्छादित हिमालय पर सूर्य की रंग-बिरंगी किरणें सुंदर नृत्य कर रही हैं मंद-मंद सुगंधित पवन चारों ओर प्रवाहित हो रहा है शुक एवं कोकिल कल-कल करती गंगा के तट के वृक्षों पर मधुर स्वर से गणेश-गणेश-गणेश का जाप कर रहे हैं हरे-हरे वृक्षों की डालियाँ झूमती हुईं अपने रंग-बिरंगे पुष्प बिखेर कर आपका स्वागत कर रही हैं गंगा में बहते हुए ये पुष्प अत्यंत शोभायमान हो रहे हैं


आकाश में देव, गंधर्व एवं ऋषिगण आपका स्तुतिगान कर रहे हैं और देवांगनाएँ पुष्प वृष्टि करती हुईं आकाशमंडल में नृत्य कर रही हैं जगज्जननी माँ पार्वती एवं भगवान् शंकर भी अब शीघ्र ही जागने वाले हैं कृपया अब जाग जाइए, शय्या का त्याग कीजिये और अपनी मनमोहक लीलाओं से अपने भक्तजनों के हृदय को मंत्रमुग्ध कर लीजिए कृपया अपने कानों से मेरी वीणा के मधुर संगीत का श्रवण करते हुए अपनी निद्रा का त्याग कीजिए मेरे प्रिय विनायक गणेश! अब अपनी सुंदर आँखें खोल लीजिये और संपूर्ण जगत को प्रसन्न कीजिए 

हे शिवपुत्र श्रीगणेश! आपके सुंदर कानों तक लंबे कमल के समान सुंदर नेत्र रात्रि में निद्रा के कारण अलक्तक वर्ण के हो रहे हैं शरीर पर धूलि लगने से आप अत्यंत सुहावने प्रतीत हो रहे हैं आपके वस्त्र आभूषण अस्त-व्यस्त हो गए हैं

आपकी सुंदर अलकावालियाँ माथे पर छिटक आईं हैं और मेरे हृदय को अत्यंत आकर्षित कर रही हैं अब अपनी निद्रा त्यागिये और मुस्कुराते हुए तनिक मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि डाल दीजिए

हे मेरे प्यारे भक्तप्रतिपालक गणेश ! मैंने आपके पथ को धूल, कंटक, पाषाण एवं अन्य पदार्थों से रहित कर उस पर सुंदर रंग-बिरंगे पुष्प चुन-चुन कर बिछाए हैं, जिससे आपके सुकोमल चरणों को कोई कष्ट न हो कृपया अपने चरणकमल इस पथ पर रखकर शय्या का त्याग कीजिए! इस पथ पर मैंने चंदन एवं पुष्प मिश्रित सुगंधित जल का छिडकाव किया है हे विघ्ननाशन! आइए, इस मनोहर पथ पर चलकर अपने दिन का शुभारंभ कीजिए



Ganesh Manas Puja 1. Ganesha Morning Invocation (Suprabhatam)   

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