बुधवार, 17 दिसंबर 2014

गणेश मानस पूजा


(२४.) स्तोत्र स्तुति- 
हे करुणावतार! मैं आप चतुर्भुजधारी श्रीगणेश का ध्यान करता हूँ, जो त्रिनेत्र और एकदंत हैं, गजमुख और लंबोदर हैं, सर्प का यज्ञोपवीत धारण किए हुए हैं, जिनके चरणकमलों की असंख्य देवगण वंदना कर रहे हैं, जो अपनी अतिसुंदर मुख वाली पत्नियों ऋद्धि एवं सिद्धि के संग मुस्कुराते हुए स्वर्ण के सिंहासन पर विराजमान हैं। 

जिनके दाएँ हाथ में परशु है, और दूसरा दायाँ हाथ अभय मुद्रा में है, जिसमें ॐ अंकित है और जिसमें से कृपा की किरणें निकलकर मेरे ऊपर बरस रही हैं। 


गणेशजी के प्रथम बाएँ हाथ में कमल पुष्प एवं पाश है और दूसरे बाएँ हाथ में मधुर मोदकों का थाल है। 


ऐसे श्रीगणेशजी की अनुपम मंगलमय रूपमाधुरी का अपने नेत्रों के दोनों से पान करता हुआ मैं उनकी स्तुति करता हूँ।  



Ganesh Manas Puja 24. Ganesha Stotra & Stuti 

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