बुधवार, 17 दिसंबर 2014

गणेश मानस पूजा


(३६.) यज्ञ संध्या- 
गणेशजी यज्ञ करने के लिए यज्ञमंडप में पधार रहे हैं मैं यज्ञभूमि में रंग-बिरंगी रंगोलियों का निर्माण कर रहा हूँ, स्तंभों पर पुष्पमालाएँ लपेट रहा हूँ तथा रेत और गोबर से यज्ञकुंड का निर्माण कर रहा हूँ। 


मैं सामग्री में गोलाकस, छुआरा, तिल मिला रहा हूँ और अग्निकुंड में चंदन, आम की लकड़ी, कपूर रख रहा हूँ। यज्ञभूमि ब्राह्मणवटुकों द्वारा उच्चारित वेदमंत्रों के पावन गान से गुँजायमान हो रही है 




गणेशजी के बाएँ-दाएँ ऋद्धि-सिद्धि बैठी हुईं हैं और वे भी स्वाहा उच्चारण करते हुए पति संग आहुति दे रही हैं। ब्राह्मण दुर्गासप्तशती का पाठ कर रहे हैं, गणेशजी आहुति दे रहे हैं, जिसे देखकर दुर्गास्वरूपिणी माँ पार्वती अपने पति भगवान् भोलेनाथ की ओर देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रही हैं। 


यज्ञ के अंत में गणेशजी ऋद्धि-सिद्धि संग पूर्णाहुति का नारियल अग्निदेव को समर्पित कर रहे हैं। यज्ञ करने के पश्चात् गणेशजी संध्या वंदन कर रहे हैं और उसके पश्चात् भगवान् सीतारामजी के रूप का ध्यान एवं उनके नाम का माला पर जप कर रहे हैं। उन्हें जप, ध्यान में मग्न देखकर सीतारामजी को अपना ईष्टदेव मानने वाले गौरीशंकर और कार्तिकेय मन ही मन प्रसन्न हो रहे हैं।



Ganesh Manas Puja 36. Ganesha performing Yagya (Sacrifice) & Sandhya

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