गणेश मानस पूजा
(१५.) दीपक एवं मंगला आरती-
सिंहासन के दोनों ओर बड़े-बड़े लंबे स्वर्ण के दीपक लगे हुए हैं, इनमें विविध प्रकार के घृतों एवं तेलों में डूबी हुई अनेक मनोहर कपास की बत्तियाँ जल रही हैं और अपना तीव्र प्रकाश फैला रही हैं।
सिंहासन के दोनों ओर बड़े-बड़े लंबे स्वर्ण के दीपक लगे हुए हैं, इनमें विविध प्रकार के घृतों एवं तेलों में डूबी हुई अनेक मनोहर कपास की बत्तियाँ जल रही हैं और अपना तीव्र प्रकाश फैला रही हैं।
हे मंगलदाता श्रीगणेश! मैंने अपने मस्तिष्क में ये सुंदर दीपक
आपकी अर्चना के लिए तैयार किए हैं। कुछ दीपक इस स्वर्ण के थाल में रखकर मैं आपकी मंगला आरती कर
रहा हूँ। कृपया इन दीपकों को
स्वीकार कीजिए और हमारे जीवन से भी अज्ञान के अंधकार को दूर कीजिए।
आहा! इन दीपकों की नाचती हुई लपटों में मुस्कुराते हुए आपका
सौंदर्य तप्त स्वर्ण की भाँति और भी अधिक निखर गया है और भक्तों के हृदय को चुंबक की
भाँति अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
आरती के जगमगाते प्रकाश
में झिलमिलाता आपका सौंदर्य और भी अधिक मादक हो गया है।
Ganesh Manas Puja 15. Lamp (Deepak) & Mangala Aaarti for Ganesha
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