शनिवार, 6 दिसंबर 2014

गणेश मानस पूजा

(१६.) नाश्ता/कलेवा- 
मैं गणेशजी एवं ऋद्धि एवं सिद्धि माता से भोजन करने की प्रार्थना करता हूँ उनके अनुमोदन पर मैं उन्हें फूलों के अन्य उद्यान में ले चलता हूँ, जहाँ सुंदर आसन एवं चौकियाँ पृथ्वी पर बिछी हुईं हैं मैं केले के पत्तों पर इन आलू की टिक्की, समोसे, गोलगप्पे, चीले (सूजी, बेसन, आटे के), उत्पम, मंगोड़े, पपड़ी, दही-बड़े, मटरा, मूंग की दाल, खस्ता कचौरी, राज कचौरी, पकौड़ी (मिर्च, बेसन, घिए, आलू, पालक, गोभी), तले आलू, इडली-वडा, पोहा-आलू, सांभर-डोसा, अचार-दही-चटनी-घी के संग खिचड़ी-दलिया-तहारी, पूरनपोली, भुजिया-तली दालें-बेसन में तली मूंगफली, अचार-टिकिया-शकरपारे-चंदे-कचरी-पापड़ परोस रहा हूँ। हे गणेश! मैंने ये सब माँ गौरी एवं ऋद्धि-सिद्धि के संग अपने हाथों से बनाए हैंकृपया इन सबका भोग लगाइए!


   


देखिए इन स्वर्ण के मणिजड़ित प्यालों में लस्सी, शर्बत एवं विभिन्न फलों के जूस रखे हुए हैं यथा- अंगूर जूस, आम जूस, शरीफा, मौसमी, संतरा, तरबूज, खरबूज, ईख, अनार, सेव, नारियल, गाजर। इन सभी को मैं इन रत्नजड़ित स्वर्ण के गिलासों में भर रहा हूँ, इनका पान कीजिए। 






श्रीगणेश! तनिक ठहरिए! इन विभिन्न रसों वाली दूध एवं अन्य द्रव्यों से निर्मित आईसक्रीम एवं कुल्फियों का भी तो आस्वादन कीजिए। गणेशजी अपनी सूंड गिलासों में डालकर जूस पी रहे हैं, आईसक्रीम एवं कुल्फियाँ खा रहे हैं और मुझे सप्रेम देखते हुए आनंद में भरकर किलकारी मार रहे हैं 





Ganesh Manas Puja 16. Ganesha having breakfast 

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