गणेश मानस पूजा
(१०.) आभूषण-
तीन स्वर्ण की थालियों में गणेश एवं ऋद्धि-सिद्धि माँ के लिए बहुमूल्य जगमगाते हुए आभूषण रखे हुए हैं। हे ब्रह्मा के भी पूज्य गणेश भगवन्! मैं आपके शीश पर इस मणि-जड़ित स्वर्ण मुकुट को धारण कराता हूँ। कृपया इसे स्वीकार कीजिए! इस मुकुट से थोड़ी सी बालों की लटें आपके कानों के समीप एवं माथे पर लटक आयी हैं, जो कि भक्तों के हृदयों को चुराने लगी हैं।
तीन स्वर्ण की थालियों में गणेश एवं ऋद्धि-सिद्धि माँ के लिए बहुमूल्य जगमगाते हुए आभूषण रखे हुए हैं। हे ब्रह्मा के भी पूज्य गणेश भगवन्! मैं आपके शीश पर इस मणि-जड़ित स्वर्ण मुकुट को धारण कराता हूँ। कृपया इसे स्वीकार कीजिए! इस मुकुट से थोड़ी सी बालों की लटें आपके कानों के समीप एवं माथे पर लटक आयी हैं, जो कि भक्तों के हृदयों को चुराने लगी हैं।
हे भालचंद्र श्रीगणेश! अपने
माथे पर चतुर्थी के चंद्र को धारण कीजिए। इस मणि के प्रकाश में जगमगाते
हुए अपने भक्तों से प्रेम कीजिए।
हे गजकर्ण! आपके इन सुंदर
एवं लंबे कानों में मैं इन बहुमूल्य हीरे मणियों से जड़े स्वर्ण कुंडलों को धारण करा
रहा हूँ। हे श्रुतिभूषण! जब आप झूमते
हुए चलते हैं, तो आपके कानों में नाचते हुए ये सुंदर कुंडल सूर्य एवं चंद्रमा की भी
ज्योति को क्षीण कर देते हैं और भक्तों के मन को बरबस अपनी ओर खींच लेते हैं।
हे वक्रतुंड श्री गजानन!
आपकी इस सुंदर एवं लंबी सूंड को सजाने के लिए मैं यह स्वर्ण का कवच प्रदान करता हूँ,
कृपया इसे स्वीकार कर मुझ पर अपनी कृपा बरसाइये। हे एकदंत श्रीगणेश! आपके इस दाँत की शोभा को बढ़ाने वाला मैं
यह स्वर्ण एवं मणिजड़ित आभूषण लाया हूँ, कृपया इसे स्वीकार कर आनंदित होइए।
हे महाकाय गणेश! मैं आपको
अपने मस्तिष्क में बनाये हुए ये विभिन्न सुंदर नवरत्न हार समर्पित कर रहा हूँ, जो कि
स्वर्ण के धागों में मूँगा, पन्ना, हीरा, मोती, बहुमूल्य रत्न एवं रंग-बिरंगे फूल पिरोकर
मैंने तैयार किये हैं। कृपया इन्हें अपनी ग्रीवा
में धारण कर अपने विशाल वक्ष:स्थल की शोभा बढ़ाइये। शिवजी के प्रेम की प्रतीक
ये रुद्राक्ष की मालाएँ भी अपने कंठ में धारण कीजिए।
हे विघ्ननाशक गणेश! इस चिंतामणि
को, जो कि अपने प्रकाश से जगमगा रही है, उसे अपने विशाल वक्ष:स्थल पर धारण कीजिए। दु:खीजनों को प्रसन्न करने
वाले गणेश! कृपया मेरी रक्षा कीजिए।
हे गणेश! स्वर्ण से निर्मित
एवं मणियों से जड़े इन चार बाजुबंदों को मैं आपकी चारों लंबी भुजाओं में पहना रहा हूँ। हे गजानन! मैं आपकी भुजाओं
में इन सुंदर बाजुबंदों को धारण करा रहा हूँ।
हे चतुर्भुज गणेश! तप्त स्वर्ण
से निर्मित एवं मणियों से जड़े इन चार अतिसुंदर कंगनों को मैं आपके चारों हाथों में
पहना रहा हूँ। हे विघ्नहंता! कृपया इन कंगनों
को स्वीकार कर अपने भक्तजनों के चित्त को चुराने के लिए तैयार हो जाइए।
हे गणेश! इसी प्रकार मैं
आपकी उंगुलियों में पहनाने के लिए इन मणिजड़ित स्वर्ण मुद्रिकाओं को लाया हूँ। कृपया इन्हें अपनी उंगुलियों
में धारण कर अपनी सुंदर छवि के दर्शन कराइए।
हे सर्पभूषण श्रीगणेश! इस
सहस्र फन वाले सर्प को अपनी कमर के चारों ओर धारण कीजिए एवं इस आभूषण के द्वारा अपने
भक्तों के चित्त को आनंद प्रदान कीजिए।
हे श्रीगणेश! अपने नितंबों
पर इस स्वर्ण की सुंदर करधनी को धारण कीजिए, जिसमें जड़े हुए रत्न आकाश के सितारों की
भाँति जगमगा रहे हैं। इसमें मोतियों, पुष्पों और
घंटियों की झालरें लटक रही हैं। हे दया के सागर! मुझे अपना
प्रिय भक्त बना लीजिए।
हे हेरंब! कृपया इन स्वर्ण
की पाजेबों को अपने चरण कमलों में धारण कर लीजिए। इन पाजेबों में कलियों के
जैसे रत्न एवं रुनझुन करने वाली घंटियाँ जड़ी हुई हैं। मैं इन पाजेबों को आपके चरणों
में पहना रहा हूँ। कृपया अपनी माँ गौरी एवं
पिता नटराज के संग तनिक हमें नृत्य तो करके दिखाइए और अपने भक्तवृंदों के हृदय को मंत्रमुग्ध
कर लीजिए।
ऋद्धि एवं सिद्धि माता हेतु
मैं निम्न आभूषण अर्पित करता हूँ- केश हेतु शृंगार पट्टी (माँग पट्टी अथवा माँग टीका)
एवं झूमर (पासा), केश रत्न एवं मोती, केश पिन एवं क्लिप, जूड़े हेतु पिन, क्लिप, चूड़ामणि,
शीश पर मुकुट, कानों हेतु चैनयुक्त कर्णफूल एवं झुमके, नासिका हेतु नासिका मोती, नासिका
फूल (स्टड), नासिका रिंग (नथ या बाली) एवं चैन, गले हेतु मंगलसूत्र, चोकर एवं हार,
भुजाओं हेतु बाजुबंद, हाथ हेतु कड़े, चूड़ियाँ एवं हथफूल (अँगूठी एवं कड़ा जुड़े हुआ चैन
द्वारा), अँगुलियों हेतु अंगूठियाँ एवं शीशे युक्त अँगूठी, कमर हेतु रत्नजड़ित स्वर्ण
करधनी (कमरबंद), पैर हेतु बिछुए, पाजेब एवं पैरफूल (बिछुए एवं पाज़ेब जुड़े हुआ चैन द्वारा),
साड़ी हेतु पिन एवं फूल इत्यादि।
हे श्रीगणेश! अपने वाहन मूषक के गले में यह सुंदर मणियों का
हार पहनाइए!
Ganesh Manas Puja 10. Jewellery for Ganesha
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