गणेश मानस पूजा
(२८.) साष्टांग प्रणाम-
इसके पश्चात् मैं मन ही मन श्रीगणेशजी को साष्टांग प्रणाम करता हूँ। हे गजानन! मेरी इस असार संसार से रक्षा कीजिए। इसके पश्चात् ऋद्धि एवं सिद्धि माता को भी मैं साष्टांग प्रणाम करता हूँ।
इसके पश्चात् मैं मन ही मन श्रीगणेशजी को साष्टांग प्रणाम करता हूँ। हे गजानन! मेरी इस असार संसार से रक्षा कीजिए। इसके पश्चात् ऋद्धि एवं सिद्धि माता को भी मैं साष्टांग प्रणाम करता हूँ।
हे विघ्नेश्वर गणेश! अब मैं मन ही मन आपको दूर्वा घास के कोमल अंकुर अर्पित करता
हूँ। आपकी पूजा करते समय यदि मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो, तो कृपया उसे क्षमा कर दीजिए
और मेरी पूजा को पूर्ण कर स्वीकार कीजिए।
हे शोकविनाशकारक श्रीगणेश! मेरे समस्त अपराधों को क्षमा कर मुझे अपने चरणों का
दास बना लीजिए, जिससे कि मैं संसार के झूठे बंधनों में न फँसू और प्रतिक्षण अपनी जिह्वा
से आपके मधुर नामों का संकीर्तन करता रहूँ।
Ganesh Manas Puja 28. Procrastination to Ganesha
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