गणेश मानस पूजा
(२१.) गायन-
हे मूषकवाहन श्रीगणेश! जबकि आप सिंहासन पर मुस्कुराते हुए विराजमान हैं, आपको समस्त देवों में सर्वप्रथम पूज्य जानते हुए अनेकों शुकदेव आदि ऋषि-मुनि, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इंद्र, शेषनाग आदि देवता आपको प्रणाम कर आपकी जय-जयकार कर रहे हैं और आपके ऊपर फूलों की वर्षा कर रहे हैं।
हे मूषकवाहन श्रीगणेश! जबकि आप सिंहासन पर मुस्कुराते हुए विराजमान हैं, आपको समस्त देवों में सर्वप्रथम पूज्य जानते हुए अनेकों शुकदेव आदि ऋषि-मुनि, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इंद्र, शेषनाग आदि देवता आपको प्रणाम कर आपकी जय-जयकार कर रहे हैं और आपके ऊपर फूलों की वर्षा कर रहे हैं।
सर्वशक्तिमान श्रीगणेशजी के बाँई ओर उनकी पत्नी सिद्धि
अपनी समस्त शक्तियों के संग विराजमान होती हुईं, गणेशजी की आज्ञा की प्रतीक्षा में
नतमस्तक खड़ी हुईं हैं।
भगवान् श्रीगणेशजी के दाँई ओर आपकी द्वितीय पत्नी ऋद्धि, जो कि बुद्धि एवं कला की देवी हैं, खड़ी हुईं हैं और अपने पति की प्रशंसा में मधुर गीतों का सुरीले स्वर में गान कर रही हैं।
श्रीगणेशजी के पार्श्व भाग में मुद्गल ऋषि आदि अनेक भक्तजन एवं शुक आदि ऋषि मुनि खड़े हुए उनकी स्तुति का मंगल गान कर रहे हैं।
सभी भक्तजन गणेशजी के नाम का मधुर संकीर्तन कर रहे हैं। अनेक कविगण प्रभु की प्रशंसा में अपनी कविताओं का गान कर रहे हैं।
Ganesh Manas Puja 21. Singing for Ganesha (Gaayan)
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