शनिवार, 6 दिसंबर 2014

गणेश मानस पूजा

(६.) स्नान- 
हे गंगापुत्र गणेश! मैं आपके स्नान के लिए संसार की समस्त पवित्र नदियों यथा गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सरयू, मंदाकिनी, पयस्विनी, गंडकी इत्यादि, एवं सागरों तथा तीर्थस्थलों में स्थित पवित्र सरोवरों का जल लाया हूँ इस जल को गुनगुना कर मैंने इस मंगलमय कलश में भरा है आइए! अब इस जल से स्नान कीजिए



हे विघ्नहर्ता! सर्वप्रथम मैं आपको इस स्वर्णपात्र में भरे कामधेनु के दुग्ध से स्नान कराता हूँ दुग्ध की धार आपके तेल लगे शरीर पर बहती हुई अत्यंत सुंदर लग रही है 



तदनंतर मैं आपको इस पवित्र एवं सुगंधित जल कलश से स्नान कराता हूँ इसके पश्चात् मैं आपको कामधेनु के दुग्ध के दही से और फिर जल से स्नान कराता हूँ


तदुपरांत मैं आपको कामधेनु के दुग्ध का घृत और पुनः जल अर्पित करता हूँ इसके पश्चात् मैं आपको शहद एवं जल से स्नान कराता हूँ

तदनंतर मैं आपको शर्करा एवं जल से तथा नारियल जल एवं गंगाजल से स्नान कराता हूँ इसके पश्चात् श्रीगणेश आप सुगंधित जल, जिसे मैंने कपूर, चंदन, केसर एवं कस्तूरी डालकर तैयार किया है, से तथा पुनः कमुंडल के पवित्र जल से स्नान कीजिए

इसके पश्चात् मैं वेदमंत्रों के गान द्वारा तथा दूर्वा घास अर्पण करता हुआ गणेश पूजन करता हूँ


हे उमासुत गणेश! मैं आपके मुख को बारंबार जल से धोता हूँ अब आप भरपूर स्नान कर चुके हैं अतः अब मैं आपके जल टपकते शरीर को एक स्वच्छ वस्त्र से पोंछ रहा हूँ मैं आपके सुंदर केशों को सुगंधित द्रव्यों के धूम्र से सुखाता हूँ और उनमें सुगंधित तेल का लेप करता हूँ हे भवानी के नंदन श्रीगणेश! तनिक मुस्कुराते हुए इस स्वर्ण के शीशे में तो निहारिये, मैं इस सोने की कंघी से आपके इन चिकने, घुँघराले बालों को तो जरा संवार दूँ




Ganesh Manas Puja 6. Ganesha having bath

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