बुधवार, 17 दिसंबर 2014

गणेश मानस पूजा

(३५.) होली लीला एवं स्नान- 
हे षडाननभ्राता गणेशजी! आइये नौका विहार के पश्चात् पुनः गंगा तट पर स्थित उद्यान में चलें, जहाँ आपके भ्राता स्कन्द एवं आपके गण आपके संग होली खेलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। गणेशजी मुस्कुराते हुए अपनी सूंड में रंग भर-भरकर अपने मित्रों और गणों के ऊपर रंग वर्षा कर रहे हैं। वे अपने दोनों हाथों से पिचकारी चला रहे हैं। तीसरे हाथ में गुलाल का पात्र है और चौथे हाथ से वे ऋद्धि-सिद्धि और मित्रों के मुख पर गुलाल मल रहे हैं। उड़ते हुए गुलाल से आकाश भी रंग-बिरंगा हो गया है। 


ऋद्धि-सिद्धि भी रंग-बिरंगा सुगंधित जल पिचकारियों में भर-भरकर गणेशजी पर फुहारें छोड़कर उन्हें भिगो रही हैं और हास्य-विनोद कर रही हैं। माँ पार्वती शंकरजी के लिए भाँग पीस रही हैं, लेकिन शंकरजी पीछे से आकर माँ भवानी के मुख पर गुलाल लगा रहे हैं। गणेशजी मुझे देखकर मुस्कुराते हुए गुलाल मलते हैं और फिर सहसा अपनी सूंड से उठाकर समीप के रंग से भरे कुंड में फैंक देते हैं और ठहाका मारकर हँस पड़ते हैं। 


अब गणेशजी बैठ गए हैं, सभी ऋषि-मुनि, देवता और भूतगण गणेशजी पर पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं। गणेशजी मुस्कुराते हुए चुपचाप बैठे हैं। अब भक्तजनों ने गणेशजी को रंग-बिरंगे पुष्पों से पूरी तरह ढ़क दिया है। शंकर-पार्वती, कार्तिकेय, ऋद्धि-सिद्धि भी मुस्कुराते हुए यह प्रेमलीला देख रही हैं। 


अब गणेशजी उन पुष्पों के मध्य से निकल आए हैं और बड़े प्यारे लग रहे हैं। गणेशजी के शरीर के स्पर्श से पावन उन पुष्पों को परस्पर एक-दूसरे पर वर्षाकर भक्तजन होली खेल रहे हैं। 

आइए श्रीगणेश! अब गंगा में सांय का स्नान करें। 

स्नान करने के पश्चात् इन सुंदर वस्त्रों एवं आभूषणों को धारण कर लीजिए। 






Ganesh Manas Puja 35. Ganesha celebrating Holi festival 

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